सौराष्ट्र देशे विशदेतिरम्ये ज्योतिर्मयं चन्द्रकलावतंसम
भक्तिप्रदानाय कृपवातीर्नाम तं सोमनाथं शरणं प्रपद्ये
[Saurashtra deshe vishadeti ramye, Jyotirmayam Chandra kalavatamsam
Bhakti pradanaya kripavateernam, Tam Somnatham sharanam prapadye]
[Saurashtra deshe vishadeti ramye, Jyotirmayam Chandra kalavatamsam
Bhakti pradanaya kripavateernam, Tam Somnatham sharanam prapadye]
[I seek refuge of the Somnath who resides in the holy and beautiful Saurashtra, who dazzles with light, who wears the crescent moon, who has appeared there to give the gift of devotion and mercy]
श्री सोमनाथ महादेव प्रथम आदि ज्योतिर्लिंग हैं ज्योति अर्थात ज्ञान और ऊर्जा का प्रकाश मानव सभ्यता के प्रारंभ से ही परम तत्त्व की खोज हो रही है ऐसी ही एक बात ज्योतिर्लिंग के प्राकट्य के साथ जुडी है शिव पुराण की परंपरा के अनुसार एक बार श्री विष्णु भगवान और श्री ब्रह्मा जी के मध्य महत्ता की प्रतिस्पर्धा हुई जिसका निवारण करने के लिए परमात्मा ने अपना ज्योतिर्मय स्वरुप प्रकट किया जिसका रहस्य स्वयं श्री विष्णु जी और श्री ब्रह्मा जी भी नहीं समझ सके करुणा के सागर परमात्मा शिव ने कहा 'आप तीनो अर्थात ब्रह्मा विष्णु और रूद्र मेरे ही स्वरुप हैं मेरी ही ऊर्जा से आप सृष्टि का निर्माण संचालन और प्रलय करते हैं मेरा ही अंश सृष्टि के प्रत्येक जीव एवं निर्जीव पदार्थ में विराजमान है' भगवान शिव का यह दिव्य स्वरुप आदि ज्योतिर्लिंग के स्वरुप में प्रकट हुआ
Somnath, or the protector of the Moon God, is the first among the twelve Aadi Jyotirlingas.
Somnath temple stands at the shore of the Arabian ocean on the western corner of Indian subcontinent in
Legends
According to Ancient Indian traditions Chandra (Moon God) was relieved from the curse of his father-in-law Daksha Prajapati. As per the story, Moon was married to Twenty-Seven daughters of Daksha. However, he favoured Rohini and neglected other queens. The aggrieved Daksha cursed Moon and the Moon lost power of light. With the advice of Prajapita Brahma, Moon arrived at the Prabhas Teerth and did penance to Lord Shiva. Lord Shiva blessed and relieved him from the curse of darkness.